Showing posts with label ब्लोग. Show all posts
Showing posts with label ब्लोग. Show all posts

Sunday, May 9, 2010

कसाब.... फ़ाँसी... सिस्टम.... बेबसी....

भारतीय न्याय व्यवस्था में एक रिकॉर्ड .....

कसाब... एक आतंकी ...

सबूत जगजाहिर... मरने वाले तकरीबन 160... 600 गवाह...

सबकी मांग एक.... कसाब को फ़ाँसी...

एक साल में फैसला.... एक एहसास, एक विस्वास न्याय व्यवस्था पर....

चेहरे पर झलकती खुशी....

पर एक संशय... एक उदासी ...

उन चेहरों पर जो खो चुके अपनों को...

खो गये उनकी यादों में... याद आने लगा वो पल...

वो मंजर .... जो कभी गुजरा था उन आखों से...

पूछती हैं वो बेबस निगाहें... वो सुबह कब आयेगी!! ...

कब वो दिन कब आयेगा जब न्यायिक फैसला अपने अंजाम तक पहुँचेगा...

निगाहें डूब जाती हैं आंसुओं के सागर में..

दिल को तसल्ली देकर.... वो सुबह कभी तो आयेगी....

Sunday, May 2, 2010

यादें बस यादें रह जाती हैं


वो स्कूल की सीड़ी पर प्यार भरी बातें,
आते जातों पर कमेंट की बरसातें,
वो स्लेबस की टेन्सन, वो इक्ज़ाम की रातें
वो कैंट्टीन की पार्टी, वो बर्थडे की लातें
वो रूठना मनाना, वो बंक वो मुलाकातें
वो लैब वो लाइब्रेरी,
वो सोना टैम्प्रेरी
वो मूवी वो म्युजिक
वो कार्ड के मैजिक
वो प्रपोज़ल की प्लानिंग में रात का गुजरना
हर एक को दोस्त की भाभी बताना
लैक्चर से ज्यादा उसको निहारना
फिर क्लास में पीछे की सीट में सोना
उसकी नज़र में शरीफ़ बनाया जाना
ना रहे वो दिन ना रही वो रातें
ना रही वो वो हँसी भरी मुलाकातें
रही अगर कुछ तो बस यादें

Sunday, September 6, 2009

ब्लॉगिंग का धर्म

*****ब्लॉगिंग का धर्म*****
पिछले कुछ दिनों से ब्लॉग जगत में ब्लॉगिंग हिन्दू बनाम मुसलमान बन रही है। ब्लॉगर ताल ठोकर खुद हो साबित करने का प्रयास कर रहा है। हिन्दू मुसलिम विवाद यहाँ साफ दिखाई देता है । क्या यह ब्लॉगिंग और ब्लॉग जगत में धर्म का प्रवेश है।

ब्लॉगिंग का धर्म

ब्लॉगिंग का भी होता है धर्म
धर्म जिसका नहीं कोई मर्म
धर्म हिन्दू है या मुसलमान
इससे हूँ मैं अनजान

ब्लॉगिंग का धर्म कहाँ से आया
जिसने ढ़ूँढ़ा उसने पाया
ढ़ूँढ़ी गई ब्लॉगिंग की जात
फिर मचाया उस पर उत्पात

तेरी लेखनी हिन्दू है
तेरी लेखनी मुसलमान
धर्म आया बीच बन दीवार
किसने दिया तुमको ये अधिकार

बाँट दिया जिसने जग सारा
क्यूँ लेते हो उसका सहारा
बनाओ इसे यूँ आवारा
यही तो है हमारी एकता का सहारा


-कामोद


Saturday, August 15, 2009

स्वतंत्रता दिवस- स्वतंत्रता के बदलते मायने और इसका स्वरूप

*****स्वतंत्रता दिवस- स्वतंत्रता के बदलते मायने और इसका स्वरूप*****

स्वतंत्रता मतलब आज़ादी..... आज़ादी किसी कैद से, किसी पिंजरे से.. 62 साल पहले हम भारतीय भी आज़ाद हुए थे विदेशी राजनीति और विदेशी वर्चस्व से... नयी उमंग नये सपने.... अपनेपन का अहसास...

आज़ादी से पहले संधर्ष एक गुलामी से था.... विदेशी वर्चस्व और तानाशाही से था. बढ़ते अत्याचार और दोहरी राजनीति के विरूद्ध था... संधर्ष अपने हक़ और अधिकार के लिए था जो अपने होते हुए भी अपने नहीं थे... दाता होते हुए भी याचक बन गये थे...

हमारी संस्कृति 'अतिथि देवो भव:' जिस पर हमें कभी गर्व था और आज भी है हमारे लिए अभिशाप बन गई... हम लुटते रहे पर उफ़ तक नहीं की.... सोने की चिड़िया से पिंज़रे की चिड़िया बन गये...

पानी सर से ऊपर गया लुटने का अहसास हुआ पैर से धरती और सर से आकाश गया फिर आजादी का संधर्ष हुआ कुछ लड़े कुछ मिट गये गरम, नरम और उग्र दल बन गये.

गाँधी, नेहरू, सुभाष, आदि के संधर्ष और चन्द्रशेखर, भगत सिंह, राजगुरू और बिसमिल आदि के बलिदान से आज़ादी मिली.. आज़ादी मिली तो राजनीति शुरू हो गई.. पाकिस्तान बन गया... देश में अन्दरूनी राजनीति शुरू हो गई.. सता संधर्ष और राजनीति की... सरदार पटेल ने अपना राजनितिक बुद्धि-कौशलता से देश को एक डोर में पिरोया..

आज भी हम स्वतंत्र हैं ... गर्व है हमें अपनी आजादी पर ... पर गर्व नहीं है अपने राजनेताओं पर.. हर कोई नेता बनने को तैयार है.. बाहुबली, डाकू-लुटेरे, सजायाफ़ता, तथाकथित सामजिक ठेकेदार और छुटभैये.. सभी राजनीति से अपना उल्लू सीधा कर रहे हैं...

हम स्वतंत्र है... इसलिए दंगे-तोड़फोड़ करना हमारा अधिकार है .. अभिव्यक्ति का अधिकार.. कुछ भी हो तो आग लगाना, जाम लगाना, सरकारी सम्पत्ति तोड़ना... अपहरण करना, हत्या-बलात्कार करना, लूट मारपीट करना तथाकथित लोगों का अधिकार बन गया है...

हम स्वतंत्र है... इसलिए जो चाहते हैं कर सकते हैं.. चाहे भूत-प्रेत, सेक्स और व्यक्तिगत मुद्दों के नाम पर टी. आर. पी. हो या फिल्म के नाम पर कुछ भी परोस देना... सब चलता है...

हम स्वतंत्र हैं इसलिए आज़ादी और समानता हमारा अधिकार है... अधिकार मांगने के लिए प्रदर्शन... समलैंगिकता जैसे संवेदनशील बिषय पर बदलते विचार और उस पर कानून की मुहर...

स्वतंत्रता का भरपूर उपयोग वो भी करते हैं जो करप्शन कर रहे हैं... नकली को असली बनाते हैं... वो लूटते है हम लुटते हैं ... जानते हैं फिर भी पिटते हैं... लुटते हैं फिर भी डरते हैं... खुश रहते हैं चलो आज तो हम बच गये....


इतने सालों बाद स्वतंत्रता के सवरूप बदल गया है. स्वतंत्र हैं फिर भी स्वतंत्रता की तलाश है...

अपनी आज़ादी को हम हरगिज़ मिटा सकते नहीं । सर कटा सकते हैं लेकिन सर झुका सकते नहीं ॥

Friday, October 17, 2008

करवाचौथ पर विशेष

*****करवाचौथ पर विशेष*****

यह पोस्ट पिछ्ले साल आज के विशेष पर्व करवाचौथ के अवसर पर लिखी थी. तो देखिए करवाचौथ पर विशेष आखिर क्यूँ मनया जाता है यह विशेष पर्व ...

आज का दिन खास है भारतीयों के लिए. विशेषकर भारतीय नारियों के लिए. आप तो समझ ही गये ना कि मैं ऐसा क्यूँ कह रहा हूँ. आज है ना वह विशेष पर्व (दिन) जिसका हर भारतीय नारी (शादीशुदा) को बड़ी उत्सुकता से इंतजार रहता है.जी हाँ सही समझे करवाचौथ. आज के दिन भारतीय नारी बिना खाये पिये, भूखे प्यासे रहकर अपने पति की लम्बी उम्र के लिए उपवास रखती है. इसके पीछे कई किंवदंतियां प्रचलित हैं. पर ये कुछ खास है.

एक समय की बात है .......
लक्ष्मी जी दिपावली के दिन पृथ्वीलोक में अपने भक्तों के घर आशीर्वाद देने जा रही थी. इधर से उधर , एक भक्त के घर से दूसरे भक्त के घर, फिर तीसरे फिर चौथे.... बारी-बारी सभी भक्तों के घर जा रही थी. सभी भक्त बड़े तन, मन और धन से लक्ष्मी जी की पूजा कर रहे थे. लक्ष्मी जी पर आरती आरतीयां गाई जा रही थी. लक्ष्मी जी खुश होकर आशीर्वाद दे रही थी.

बाहर बैaaठा लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू यह सब देख रहा था. उल्लू को बहुत दुख हुआ. उसने सोचा कि वह लक्ष्मी जी का वाहन है फिर भी कोई उसे पूछता नहीं है उल्टा दुत्कारते ही है. लक्ष्मी जी का वाहन ‘उल्लू’ रूठ गया और बोला “आपकी सब पूजा करते हैं , मुझे कोई नहीं पूछता”. लक्ष्मी जी बात समझ गई . लक्ष्मी जी हल्का सा मुस्कराई और बोली “ अब से हर साल मेरी पूजा से 11 दिन पहले तुम्हारी पूजा होगी”. उस दिन सिर्फ उल्लू पूजे जायेंगे.

तब से दिवाली के 11 दिन पहले ‘कड़वा चौथ’ कहकर उल्लू दिवस मनाया जाता है.
आज के जमाने में उल्लू तो आसानी से मिलते नहीं है. पर फिर भी उल्लू दिवस बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है. हाँ उल्लू की जगह किसी और ने ले ली है. शायद आज के दौर में बैठा बिठाया उल्लू जब घर में ही हो तो कोई बाहर क्यूँ ढ़ूंडे.!!!

समय बदलता है

समय बदलता है
लोग बदलते हैं
लोगों की सोच बदलती है
पर नहीं बदलते हैं संस्कार
मान्यताएं
परम्पराएं
चाह जुड़े रहने की अपनी जड़ो से
बचाए रखने की जड़ों को
चाह संस्कारो को आगे पहुँचाने की

समय बदलता है
लोग बदलते हैं
लोगों की सोच बदलती है
तौर-तरीके बदलते हैं
अन्दाज़े बयां बदलते हैं
अब नहीं दिखता वो आकर्षण
अब नहीं दिखता वो समर्पण
लिपटा है सब एक रंग में
दिखावा है संग-संग

समय बदलता है
लोग बदलते हैं
लोगों की सोच बदलती है
बदल जाते हैं आचार, विचार और व्यवहार
अब नहीं है वो अपनाचार
है सब आधुनिकता की बयार
क्यूँ करते हो इतना विचार
लक्ष्मी-पति भी बन जाते है आज उल्लू
हो जाते है बड़े-बड़े भी लल्लू
ना कर पाया कोई आज, आज तक सीधा अपना उल्लू
ना घबराओ आज, आज तुम्हारा ही दिन है लल्लू

Tuesday, August 5, 2008

ब्लॉगिंग करने का नया अन्दाज़

*****ब्लॉगिंग करने का नया अन्दाज़*****

अगर ब्लॉगिंग करते-करते पोस्टिंग पेज़ से बोर हो गये हैं या ब्लॉगिंग में विण्डो लाइव राइटर जैसा अन्दाज़ चाहते हैं तो इसका मज़ा लूटिये ब्ळॉगर ब्लॉगर में ही. अभी तक जिस पोस्टिंग पेज़ का प्रयोग प्रयोग मैं कर रहा था वो कुछ इस तरह था. (चित्र)

 

 

 

 

 

 

 

 

 

पर ब्लॉगर ने पेश किया है ड्राफ़्ट में ब्लॉगर. जिसका पोस्टिंग पेज़ नई सुविधाओं के साथ कुछ इस तरह का नज़र आता है. (चित्र)

bb1

इसमें चित्र कम समय में उसी विण्डो में अपलोड हो जाता है.

load 

यह कट, कॉपी और पेस्ट करने वालों की सहायता नहीं करता है. कई ऐसे ब्लॉगर्स के लिए  यह सुविधाजनक नहीं भी हो सकता. इसकी सेटिंग्स में जाकर ब्लॉग उपकरण की सहायता से ब्लॉग का आयात-निर्यात भी कर सकते हैं. और भी बहुत कुछ हैं इसमें.

तो शुरू हो जाईये और मज़ा लूटिये ड्राफ़्ट में ब्लॉगर का ...

Sunday, July 20, 2008

ब्लोग चोर ने बजाई पुंगी

अभी-अभी दीपक बापू को पढ़ा जहाँ वे अपने ब्लोग चोरी होने की व्यथा को नहीं छुपा पाये और ब्लोग चोरी को रोकने की अपील करने  लगे. टिप्पणी पर जाकर पता लगा कि सबको हँसाने वाले राजीव जी खुद ब्लोग चोरी की समस्या से दो-चार हो रहे हैं.

यह ब्लोग चोर बहुत मज़ा हुआ खिलाड़ी है. इस ब्लोग में ब्लोग लेखक, का नाम नदारत मिलता है. हाँ पंगेबाज जी के पंगे से बचने के लिए पुंगी का सहारा लिया है ब्लोग चोर ने. तथाकथित ब्लोग चोर  पुंगीबाज नाम से सबकी पुंगी बज़ा रहा है.

ब्लोग चोरी की बातें पहले भी सुनने को मिली थी. पर इस नये चोर का अवतरण इसी साल जनवरी में हुआ है. और जिसमें अभी तक  दो ब्लोगचोरी की दावेदारी नज़र आई है.

ब्लोग एक सशक्त माध्यम है अपनी बात को दूसरों तक पहुँचाने का.  इसी क्षेत्र में हिन्दी ब्लोगिंग कुछ ही सालों में लोकप्रिय हुई है. जिसमें कुछ ब्लोगवीर अपनी प्रभावशाली लेखनी से हिन्दी ब्लोग जगत में चमक रहे हैं वहीं कुछ विद्वान ब्लोगर सस्ती लोकप्रियता और बैठे बिठाये नाम पाने के लिए ब्लोग चोरी जैसी धटना को अंजाम दे रहे हैं

ब्लोगचोरी आखिर क्यूँ होती है?? क्या ब्लोग में कॉपीराईट नहीं होने से? वैसे भी यहाँ कॉपीराईट का मतलब राईट ऑफ कॉपी होता है. तभी तो अधिकतर ब्लोगर कट, कॉपी और पेस्ट का आसान, सस्ता और टिकाऊ साधन का प्रयोग आसानी से कर जाते हैं. जिसे पता नहीं होता है वो इन्ही ब्लोगचोरों को मूल लेखक मानता है. अधिकतर ब्लोगर छद्म नाम से लिखते हैं जिससे असल पहचान कर पाना आसान नहीं होता है.

वैसे भी पकड़ने कहाँ जाओगे? पकड़ भी लिया तो यही कहेगा कि तुम भी कौन से दूध के धुले हो!! चोरी तो तुमने भी की है. चाहे वो फोटो की चोरी हो या समाचार की या कोई दूसरी.

जहाँ तक मेरा मानना है ऐसे ब्लोग चोरों को तड़ीपार कर देना चाहिए. मतलब ब्लोग एग्रीगेटरों के हस्तक्षेप से इनका प्रवेश (ब्लॉक) बंद कर देना चाहिए. शायद यही अच्छा उपाय है इनको दूर करने का.

आप क्या विचार रखते हैं इस बारे में.

Wednesday, July 16, 2008

बदले- बदले से धड़ाधड़ महाराज़

***** बदले- बदले से धड़ाधड़ महाराज़*****  

        untitled5                     

 धड़ाधड़ महाराज़ आजकल कुछ दिनों से नये रंगरूप में आकर्षक नज़र आ रहे हैं.  धुरन्दर चिट्ठाकारों को अब नई जगह पर शिफ्ट कर दिया गया है. साथ ही नये चिट्ठाकारों को भी सम्मान दिया गया है. चिट्ठा 

untitled2

सम्बन्धित जानकारी अलग से अन्य विशेषताओं में समाहित कर दी हैं जहाँ वर्ग वदलें, पुस्तक चिन्ह और डाक सूचक में जाने के लिए पंजिकरण की अनिवार्यता है. जबकि हवाले, सक्रियता क्रम और पिछले लेख पर सीधे वार किया जा सकता है.

धड़ाधड़ टिप्प्णियों, धड़ाधड़ पढ़ाकू और धड़ाधड़ वाहवाही लूटने वाले चिट्ठों के लिए एक अलग कॉलम बनाया गया है. वहीं चिट्ठों को विभिन्न चिप्पियों के माध्यम से अलग- अलग करने का प्रयास सफल नज़र आता है.

untitled3

चिट्ठों की सक्रियता को घंटों, दिनों और महिनों के माध्यम से दर्शाया गया है. जिससे हिन्दी ब्लोग लेखन में हो रही प्रगति को आसानी से समझा जा सकता है. धड़ाधड़ महाराज़ चिट्ठाजगत में प्रतिक्रिया स्वरूप सुझाव एवं शिकायतें भेजने के लिए नया ई-पता जारी किया गया है.-
nayaroop [ एट ] chitthajagat < डॉट > in

नये रूप में धड़ाधड़ महाराज़ चिट्ठाजगत आकर्षक नज़र आता है. बस ऐसा समझ लो नई बोतल पुरानी शराब है. और भी बहुत कुछ है इस नये रूप में. अंत में 100000+ चिट्ठा प्रवष्टियों के लिए सभी पाठकों, चिट्ठाकारों और एग्रीगेटरों को बधाईयाँ एवं शुभकामनाएं.

Tuesday, May 27, 2008

नई ब्लोगवाणी के साथ कुछ अनुभव

अपनी व्यस्तता के कारण कल यहाँ आना नहीं हो पाया. आज जैसे ही ब्लोगवाणी खोला तो कुछ अलग सा लगा. अपने पर शक होने लगा कहीं गलत तो पता तो नहीं दे दिया!!. जब सब देखा तो पता चला मैं तो सही हूँ और ब्लोगवाणी ही बदल गया है.

एक नये अंदाज़ में नई ताज़गी सा लगा. बहुत कुछ बदल गया. कुछ नये परिवर्तन भी किये हैं।

लॉग इन/पासवर्ड नया फीचर जोड़ा गया है। पर इसके लिए लॉग इन/ पासवर्ड कोन सा होगा ??? क्या इसके लिए सदस्य बनना अनिवार्य शर्त है??

आधिक टिपियाए गये चिट्ठों के लिए नयी जगह दी है। अछ्छा लगा.

प्रथम पृष्ट पर प्रविष्टि संख्या के विकल्प से एक साथ कई चिटठों को देखने, समझने में ज्यादा समय नहीं लगाना पडेगा।

अन्य प्रविष्टियां में एक साथ पिछली १० प्रवष्टियों को देख पाना अछ्छा अनुभव लगा. साथ ही पिछले पोस्टों की पसंद ,पढ़े गये और टिपियाए जाने की संक्षिप्त जानकारी मिल पाना अच्छा अनुभव रहा.
साथ ही टिप्प्णी में भी कुछ ऐसा ही अनुभव रहा.

रंगों के चयन के साथ ही प्रस्तुतिकरण अछ्छा बन पड़ा है. बधाईयाँ लेते जाईये गुरु ब्लोगवाणी.

Wednesday, May 21, 2008

आपकी राय चाहिये

मेरी पिछली पोस्ट में एक टिप्पणी देते हुए विजयशंकर चतुर्वेदी जी ने एक सवाल पूछा ------

"अब मैं सबसे पूछता हूँ- आजकल के वैज्ञानिकों के हिसाब से सूरज कितने सालों में बुझ जायेगा?"

सूरज ना जाने कितने सालों से प्रकाश दे रहा है और ना जाने कितने और आने वाले सालों तक देता रहेगा। जहाँ तक मेरी जानकारी है यह ६ अरब सालों से जल रहा है और लगभग 6 अरब सालों तक अभी अपना जलवा बिखेरता रहेगा।

इस बारे में आप क्या कहेंगे?

Wednesday, May 14, 2008

कुछ सवाल एग्रीगेटरों से-- कृपया सुझाव दें

***** कुछ सवाल एग्रीगेटरों से-- कृपया सुझाव दें

पिछले साल नवंबर में मैंने अपना नया ब्लोग कुछ बोलती तस्वीरें शुरू किया था. जिसमें कुछ विशेष और अलग तरह की तस्वीरों का ब्लोग बनाने की कोशिश की . तब से लेकर अब तक लगभग 6 महिने बाद भी मेरा यह ब्लोग हिन्दी ब्लोगजगत के एग्रीगेटरों ब्लोगवाणी, नारद, चिट्ठाजगत, चिट्ठालोक आदि पर आज तक दिखायी नहीं दिया।

इस सम्बन्ध में मैंने नारद ,ब्लोगवाणी और चिट्ठाजगत में ई-मेल भी किये पर कोई उत्तर नहीं आया। जबकि नारद जी ने तो उद् धोषणा कर रखी है--
यह है बिना तामझाम वाला संकलक - न पंजीकरण की ज़रुरत और न ब्लॉग पर दावा सिद्ध करने की। एग्रीगेटर का काम है नवीन ब्लॉग पोस्ट की सूचना देना, तो वही कार्य हम करना चाहते हैं और तीव्र गति से करना चाहते हैं। आप ब्लॉग बनाए और बाकी हम पर छोड़ दें। नारद तीव्र के दरवाज़े हर हिन्दी ब्लॉग के लिए खुले है, जोड़ने घटाने के लिए किसी पत्राचार की आवश्यकता नहीं है। फिर भी यदि आपका हिन्दी ब्लॉग यहाँ नहीं दिख रहा है तो आप हमें sunonarad at gmail dot com पर ईमेल करें, यदि आपका ब्लॉग हिंदी में है तो हम उसे यहाँ दिखा देंगे।

ब्लोगवाणी के चिट्ठे पर मैंने इस सन्दर्भ में उनका ध्यान आकृस्ट करने के लिए इस बिषय पर टिप्पणी भी की थी। पर आज तक कुछ नहीं हुआ. अपनी इस बात की पुष्टि के लिए मैंने आज ही कुछ समय पहले अपने इस चिट्ठे में नई पोस्ट डाली है।

कुछ सवाल जो मेरी समझ में नहीं आये......
१. क्या इस चिट्ठे में कुछ अश्लील या आपत्तिजनक है जिस कारण यह एग्रीगेटरों में शामिल नहीं किया जा सकता??
२. क्या मेरा प्रस्तुतिकरण का तरीका गलत हैं??
3। क्या इसके लिए हाई प्रोफाईल जैक की जरूरत पड़ती है?? (जो मेरे पास नहीं है.)
4. क्या यह तानाशाही तो नहीं??
कृपया सुझाव दें...


Saturday, May 10, 2008

समय प्रबन्धित पोस्ट - लिखो और भूल जाओ

ब्लोग लिखना सबसे आसान काम है.. पर उसे प्रकाशित कर पाना उतना ही मुश्किल। खासकर ब्लोगस्पोट में। वर्डप्रेस पहले से ही समय प्रबन्धित पोस्ट (Scheduled Posts) की सुविधा देता हैं। जब आपने पोस्ट लिखी तब आपके पास केवल दो ही विकल्प होते हैं। या तो पोस्ट को तुरंत प्रकाशित कर दो या उसे ड्राफ्ट बना कर रख लो। और बाद में सही समय पर प्रकाशित करो।


अब ब्लोगस्पोट में भी समय प्रबन्धन पोस्ट (Scheduled Posts) की जा सकती है। पिछले कुछ समय से मैं यही कर रहा हूँ। इससे पोस्ट लिखो और उसे समय प्रबन्ध पोस्ट (Scheduled Post) कर दो। और फिर भूल जाओ। इसको करने के बाद यह ड्राफ्ट की तरह सुरक्षित हो जाता है। इस तरह एक साथ कई पोस्ट लिखी जा सकती हैं। साथ इसे सम्पादित भी किया जा सकता है। देखें स्क्रीन शोट्स