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Sunday, December 28, 2008

कल की माथापच्ची राज भाटिया जी के नाम

*****कल की माथापच्ची राज भाटिया जी के नाम*****

कल की माथापच्ची पूरी तरह से राज भाटिय़ा जी के ना120px-Golden_Dropम रही. जो एकमात्र विजेता रहे. पहले राज जी भी भटक गये थे.

शुभम आर्य जी जी श्रीफल बताते है.

विनय आडू बतातेहै

"अर्श" जी गुलेर कहpp1ते हैं.

राज भाटिय़ा जी पहले Damson की सम्भावना व्यक्त करते हैं.
इसका सही उत्तर प्लुम है जिसे आलूबुखारा भी कहते हैं. चाइना मूल का माने जाने वाला प्लुम दक्षिण अफ्रिका, एशिया, चिली और यूरोप में आसानी से पाया जाता है.
प्लुम Plums अगस्त, सितम्बर के महिनों में खाने के लिए तैयार होता है. साधारणतppया प्लुम 6-15 मी. ऊँचे पेड़ों में 4-6 सेमी. लम्बी पत्तियों के साथ 3-5 के गुच्छों में 3-6 सेमी. लम्बा होता है. प्लुम लाल, बैंगनी, पीला और हरे रंग का कार्बोहाइड्रेट, कैल्शियम, आइरन विटामिन 300px-Plum_cakeसी आदि से भरपूर होता है. इसकी लगभग 200 किस्में होती हैं जिनमें से 140 किस्मों से प्लुम अमेरिका में बेची जाती हैं. यहाँ यह ड्राई फ्रूट्स के रूप में पसन्द किया जाता है.
प्लुम से अचार, जैम, आइसक्रीम, पुडिंग, चोकलेट बनाई जाती है.

 

Sunday, November 16, 2008

हमारा हाईटैक समाज

***** हमारा हाईटैक समाज*****

हम और हमारा समाज आज हाईटैक हो गया है. यह बात हर जगह देखी जा सकती है.

नेता हाईटैक हो गये हैं- 2 घंटे में गैर जमानती वारंट में जमानत मिल जाती है. untitled

महंगाई हाईटैक हो गई है- महंगाई दर कम होने पर भी महंगाई कम नहीं होती है.

आतंकवाद हाईटैक हो गया है- आतंकवाद अब हिन्दू और मुस्लिम हो गया है. हथियार तो पहले से ही थे.

टेकनोलॉजी हाईटैक हो गई है- अब प्रेमी अपनी प्रेमिका से चॉद को तोड़ लाने की नहीं चॉद पर रहने की बात करते हैं.

बच्चे हाईटैक हो गये हैं- बिना मोबाईल के स्कूल नहीं जाते हैं.

शिक्षा अब हाईटैक है- बिना कम्प्युटर के पढ़ाई नहीं हो पाती है.

चिकित्सा हाईटैक है- डॉक्टर विडिओ कांफ्रेंसिंग में चिकित्सा दे रहे हैं.

तनाव हाईटैक हो गया है- अब लोग तनाव में सीधे गोली-बारूद से बात करते हैं या फिर अपने आप को इनके हवाले कर देते हैं.

भिखारी भी हाईटैक हि गये हैं- जेब में मोबाईल रखते हैं और में 5-10 रूपये से कम नहीं लेते हैं.

भीख मांगने का तरीका हाईटैक हो गया है- अब भीख भी पर्चे बाटकर मांगी जाती है.

चुनाव प्रचार हाईटैक हो गये है- अब एस.एम.एस. और ई-मेल के माध्यम से जनता तक पहुँचा जा रहा है. 

आज के टेक्नोयुग में हमारी जीवन शैली बदल गई है. जीवन को सोचने, समझने, देखने, और जीने का अन्दाज़ बदल गया है. इन सबके बीच हम अपने भोलेपन को खो रहे हैं. प्रतिस्पर्धा की गति बड़ी है. स्वार्थ भावना बड़ी है. तनाव बड़ा है. अशांति बड़ी है. जीवन को पाने के लिए कहीं हम जीवन को खो रहे हैं.

Thursday, May 29, 2008

अपना हाथ जगन्नाथ

*****अपना हाथ जगन्नाथ*****


आपने अक्सर लोगों को ये जुमला कहते सुना होगा 'अपना हाथ जगन्नाथ '। अरे अरे रुको तो सही। कहीं आप इसका ग़लत मतलब तो नहीं निकाल रहे । मैं यहाँ ऐसा कुछ नहीं कह रहा हूँ । दरसल कुछ लोग बाएँ हाथ से काम करना पसंद करते हैं और कुछ दायें हाथ से. पर कभी सोचा है कि ऐसा क्यूँ होता है.?
हमारा मस्तिष्क बाएँ और दाएँ दो भागों में बंटा हुआ है और बांया हिस्सा दाएँ की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली है और हमारे शरीर का नियंत्रण करता है. मस्तिष्क से नाड़ियां शरीर के अलग अलग हिस्सों में जाती हैं और शरीर की गतिविधियों को नियंत्रित करती हैं. बाएँ हिस्से से निकलने वाली नाड़ियां गरदन पर आकर शरीर के दाएँ हिस्से में चली जाती हैं जबकि दाएँ हिस्से से आने वाली नाड़ियां शरीर के बाएँ भाग में. यानी शरीर के विभिन्न अंग मस्तिष्क के विपरीत हिस्सों से जुड़े होते हैं.

आमतौर पर लोगों के मस्तिष्क का बायाँ हिस्सा अधिक शक्तिशाली होता है लेकिन कुछ लोगों में दायाँ हिस्सा ज़्यादा प्रमुख रहता है और ऐसे लोग बाएँ हाथ से काम करते हैं. दुनिया में लगभग चार प्रतिशत लोग बाएँ हाथ से काम करते हैं. पर इन चार प्रतिशत में बहुत से नामी गिरामी हस्तियाँ हैं जैसे अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति जॉन एफ़ कैनेडी और बिल क्लिंटन, महारानी विक्टोरिया, वैज्ञानिक और कलाकार लियोनार्डो डा विंची, फ़िल्म निर्देशक और हास्य कलाकार चार्ली चैपलिन, क्यूबा के राष्ट्रपति फ़िदेल कास्त्रो, अभिनेता अमिताभ बच्चन और क्रिकेटर सौरव गांगुली......
अब क्या कहते हैं आप !!