*****श्रद्धांजली-अब के बरस तुझे ... *****
संगीत और सिनेमा जगत में अपनी अद्भुद आवाज की खनक के लिए महेन्द्र कपूर प्रसिद्ध रहे. उनके गाये देशभक्ति के गाने आज भी जोश पैदा कर देते हैं. तन-मन देशभक्ति से ओत-प्रोत हो जाता है. 74 साल के आवाज के इस हँसी जादूगर का कल देहांत हो गया. कुछ वक्त पहले वह गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे और उनका डायलिसिस चल रहा था.
महेन्द्र कपूर ने बी.आर.चोपड़ा की इन फिल्मों में विशेष रूप से यादगार गाने गाए - हमराज़, ग़ुमराह, धूल का फूल, वक़्त, धुंध . संगीतकार रवि ने इनमें से अधिकाश फ़िल्मों में संगीत दिया. 1968 में उपकार के बहुचर्चित गीत मेरे देश की धरती सोना उगले के लिए सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक का पुरस्कार मिला था. इस महत्वपूर्ण सम्मान के अलावा उन्हें 1963 में गुमराह के गीत चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं के लिए फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था. बाद में एक बार फिर 1967 में हमराज के नीले गगन के तले के लिए भी उन्हें फिल्म फेयर पुरस्कार मिला. उनके जीवन का तीसरा फिल्म फेयर पुरस्कार रोटी कपड़ा और मकान के नहीं नहीं और नहीं के लिए 1974 में मिला। बाद में उन्हें पद्मश्री सम्मान से नवाजा गया. हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें लता मंगेशकर पुरस्कार के लिए चुना था तथा 24 अक्टूबर को उन्हें यह पुरस्कार दिया जाने वाला था.
9 जनवरी, 1934 को जन्में महेंद्र कपूर ने 1953 की फिल्म ‘मदमस्त’ के साहिर लुधियानवी के गीत ‘आप आए तो खयाल-ए-दिल-ए नाशाद आया’ से उन्होंने फिल्मी कैरियर की शुरुआत की थी. महेंद्र कपूर ने क्लासिकल, कव्वाली, भजन, रोमांटिक और सुफियाना, हर तरह के गीत गाए। उन्हें देशभक्तिपूर्ण गीतों के लिए खासतौर पर पहचाना जाता था। मनोज कुमार की लगभग हर फिल्म में उन्होंने आवाज दी।
राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड१९६८ उपकार फिल्म के मेरे देश की धरती सोना गीत के लिए सर्वश्रेष्ट गायक के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरूस्कार दिया गया. १९६३ में चलो एक बार फिर से के लिए बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर के लिए फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया. १९६७ मे हमराज फिल्म के गीत नीले गगन के तले के लिए बेस्ट मेल प्लेबैक सिंगर का अवार्ड दिया गया. १९७४ नहीं नहीं बस और नहीं गीत के लिए बेस्ट मेलप्ले बैक सिंगर का अवार्ड दिया गया.
महेन्द्र कपूर कुछ प्रसिद्ध गीत
चलो एक बार : गुमराह १९६३
किसी पत्थर की मुरत से : हमराज १९६७
लाखों हैं यहा दिलवाले : किस्मत १९६८
और नहीं बस और नहीं : रोटी कपड़ा और मकान १९७४
भारत का रहने वाला हूं : पूरब और पश्चिम १९७३
फकीरा चल चला चल : फकीरा १९७५
बदल जाए अगर माली : बहारें फिर भी आएगी १९६६
मेरा प्यार वो है : ये रात फिर ना आएगी १९६५
तेरे प्यार का आसरा : धूल का फुल १९५९
5 comments:
bahut achchhi jaanakaari di hai aabaar
महेंद्र कपूर का निधन अपूरणीय क्षति है
महेंद्र कपूर जी के चले जाने से जो क्षति हुई है संगीत जगत में उसकी भरपाई असंभव है...सबने उनके बहुत से प्रसिद्द गानों का जिक्र किया है..जो मुझे भी पसंद हैं..और "चलो एक बार.." तो बहुत ही अधिक लेकिन उनका गाया "ये हवा ये हवा ये हवा, है उदास जैसे मेरा दिल..."और..पुतरा ठंडे ठंडे पानी से नहाना चाहिए"...का जवाब नहीं.
बहुत कमी खलेगी .महेंद्र कपूर को श्रद्धांजलि...
महेंद्र कपूर जी के जाने से, सगींत का सुर अधुरा सा लगता है।
महेंद्र कपूर जी के जाने से, सगींत का सुर अधुरा सा लगता है।
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