कुछ खट्टी कुछ मीठी Kuch Khatti Kuch Mitthi
Sunday, November 25, 2007
कुछ कहती जिन्दगी
जिन्दगी इससे कहीं भारी है....
जिंन्दगी
की परीक्षा...
पापी पेट के लिए.....
जीने के लिए……
मुसीबत
में जो साथ दे वही दोस्त……….
मुझे
पढना है...
चलना
ही जिन्दगी है...
यहाँ
कुछ ऐसी ही परिवहन व्यवस्था है...
जीने के लिए सब करना पड़ता है...
1 comment:
विनोद पाराशर
said...
फोटो देखकर लगता हे,जिन्दगी कुछ नहीं,बहुत कुछ कहती हॆ.
Sunday, December 02, 2007
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1 comment:
फोटो देखकर लगता हे,जिन्दगी कुछ नहीं,बहुत कुछ कहती हॆ.
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