Tuesday, October 2, 2007

क्रिकेट और खेल जगत

बात कुछ दिनों पहले की है जब भारतीय क्रिकेट टीम 20-20 World Cup जीतकर अपने घर वापस आई. जहाँ भारतीय सरकार , क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड, और भारतीय जनता ने दिल खोलकर धोनी के धुरंधरों का स्वागत किया. भारतीय सरकार ने क्रिकेट के इन सितारों पर करोड़ों की बरसात की तो क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने अपना कुबेर का खज़ाना खोल दिया. वहीं राज्य सरकारों ने भी अपने राज्य के खिलाड़ियों को मालामाल किया. नौकरियों में समय से पहले तरक्की कर दी गयी. बाकी मीडिया जगत तो है ही.
ये तो हुआ खेल जगत के सिक्के का एक पहलू. अब देखिये दूसरा पहलू.
भारतीय हाँकी टीम भी World Cup जीतकर आयी थी पर पता ही नहीं चला कि ये World Cup जीतकर आये हैं. बात आई गई हो गई. राष्ट्रमंडल खेलों के खिलाड़ियों का भी कुछ ऐसा ही हाल है. चाहे वो स्वर्ण पदक ही क्यों ना लाये हों. पर ऐसा स्वागत और सम्मान नहीं होता.
भारतीय सरकार व क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड द्वारा धोनी के धुरंधरों का ऐसा अभूतपूर्व स्वागत देखकर सभी हतप्रभ रह गये.
1. क्या ये भारतीय सरकार का भारतीय खेल जगत के साथ दोगला व्यवहार सही है?
2. क्या हाँकी खिलाड़ियों तथा राष्ट्रमंडल खेलों में रजत पदक विजेता द्वारा आत्मसम्मान के लिए आत्महत्या की धमकी देना सही है?
3. क्या शतरंज चैम्पियन विश्वनाथन आनन्द को अपने सम्मान के लिए याद दिलाना उचित है??
दोस्तो मैं आपसे पूछता हूं क्या ये अन्य खिलाड़ियों का हक नहीं है? अगर है तो इस खेल जगत में दोगले व्यवहार के लिए कौन जिम्मेदर है?

2 comments:

Udan Tashtari said...

भाई मेरे, हाकी लोकप्रियता खो चुकी है. उसे हासिल करना होगा, जब भारत में सब हाकी की दीवानगी मे वापस लौटेंगे, तब हाकी की बेहतर स्थिती होगी..इन्तजर किजिये...लोकप्रियता हासिल करने का..गली गली में..फिर कोई नजर अंदाज नहीं कर पायेगा...मेरी मानियेगा. तब हकी पर भी अरबों बरसेंगे.

अनिल रघुराज said...

भारतीय हॉकी टीम ने वर्ल्ड कप नहीं, एशिया कप जीता है। बात असल में वही है कि कौन-सा खेल जनमानस पर छा जाता है। फिर सारी जनता-जनार्दन उसी के पीछे भागने लगती है।