मतलब की है दुनियां सारी, मतलब के सारे संसारी
आज बड़े दिनों बाद ब्लॉग जगत में आना हुआ। बहुत कुछ बदल गया है। लोग वही हैं पर चेहरे बदल गए है।
इसी बात पर उँगलियाँ कुछ लिखने को उतावली हो रही है।
जमाना कितना बदल गया है,
लोग वही हैं पर चेहरा बदल गया है।
कहते थे तुम चलो हम तुम्हारे साथ है,
अब कहते हैं तुम चले चलो हम तुम्हारे साथ है।
हाथ में देकर बन्दूक, बारूद छुपा लेते हैं,
रखकर कंधे में बन्दूक, घोड़ा दबा देते हैं।
लगा निशाना तो उन्होंने चलाया,
वरना निशाना हम पर लगाया।
जले पर नमक छिडकते हैं,
दे धमकी काम करते है,
ना सुनो उनकी,
तो सुना-सुना के जान लेते हैं।
मुँह सामने ऐहशान जताते है,
पीठ पीछे छूरियाँ चलाते है।
मन ही मन जलते हैं,
फिर भी अपनापन जताते है।
ना दूसरा उनसा कोई बताते हैं,
आपको आपकी ही नजरों में गिरते हैं।
दे कर हाथ उठाते है,
मान मेरा ऐहशान अरे नादान कहते जाते हैं।
2 comments:
http://www.parikalpnaa.com/2012/12/blog-post_4920.html
लोग भी नहीं बदलते, प्रवृत्तियाँ भी
Post a Comment