भारतीय न्याय व्यवस्था में एक रिकॉर्ड .....
कसाब... एक आतंकी ...
सबूत जगजाहिर... मरने वाले तकरीबन 160... 600 गवाह...
सबकी मांग एक.... कसाब को फ़ाँसी...
एक साल में फैसला.... एक एहसास, एक विस्वास न्याय व्यवस्था पर....
चेहरे पर झलकती खुशी....
पर एक संशय... एक उदासी ...
उन चेहरों पर जो खो चुके अपनों को...
खो गये उनकी यादों में... याद आने लगा वो पल...
वो मंजर .... जो कभी गुजरा था उन आखों से...
पूछती हैं वो बेबस निगाहें... वो सुबह कब आयेगी!! ...
कब वो दिन कब आयेगा जब न्यायिक फैसला अपने अंजाम तक पहुँचेगा...
निगाहें डूब जाती हैं आंसुओं के सागर में..
दिल को तसल्ली देकर.... वो सुबह कभी तो आयेगी....
2 comments:
आपकी पोस्ट बहुत बढ़िया है!
मातृ-दिवस पर
ममतामयी माँ को प्रणाम तथा कोटि-कोटि नमन!
फ़ांसी के लिये भी वोटो का चक्कर है जी.... देखे कितने साल लगते है......
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