*****करवाचौथ पर विशेष*****
यह पोस्ट पिछ्ले साल आज के विशेष पर्व करवाचौथ के अवसर पर लिखी थी. तो देखिए करवाचौथ पर विशेष आखिर क्यूँ मनया जाता है यह विशेष पर्व ...
आज का दिन खास है भारतीयों के लिए. विशेषकर भारतीय नारियों के लिए. आप तो समझ ही गये ना कि मैं ऐसा क्यूँ कह रहा हूँ. आज है ना वह विशेष पर्व (दिन) जिसका हर भारतीय नारी (शादीशुदा) को बड़ी उत्सुकता से इंतजार रहता है.जी हाँ सही समझे करवाचौथ. आज के दिन भारतीय नारी बिना खाये पिये, भूखे प्यासे रहकर अपने पति की लम्बी उम्र के लिए उपवास रखती है. इसके पीछे कई किंवदंतियां प्रचलित हैं. पर ये कुछ खास है.
एक समय की बात है .......
लक्ष्मी जी दिपावली के दिन पृथ्वीलोक में अपने भक्तों के घर आशीर्वाद देने जा रही थी. इधर से उधर , एक भक्त के घर से दूसरे भक्त के घर, फिर तीसरे फिर चौथे.... बारी-बारी सभी भक्तों के घर जा रही थी. सभी भक्त बड़े तन, मन और धन से लक्ष्मी जी की पूजा कर रहे थे. लक्ष्मी जी पर आरती आरतीयां गाई जा रही थी. लक्ष्मी जी खुश होकर आशीर्वाद दे रही थी.
बाहर बैठा लक्ष्मी जी का वाहन उल्लू यह सब देख रहा था. उल्लू को बहुत दुख हुआ. उसने सोचा कि वह लक्ष्मी जी का वाहन है फिर भी कोई उसे पूछता नहीं है उल्टा दुत्कारते ही है. लक्ष्मी जी का वाहन ‘उल्लू’ रूठ गया और बोला “आपकी सब पूजा करते हैं , मुझे कोई नहीं पूछता”. लक्ष्मी जी बात समझ गई . लक्ष्मी जी हल्का सा मुस्कराई और बोली “ अब से हर साल मेरी पूजा से 11 दिन पहले तुम्हारी पूजा होगी”. उस दिन सिर्फ उल्लू पूजे जायेंगे.
तब से दिवाली के 11 दिन पहले ‘कड़वा चौथ’ कहकर उल्लू दिवस मनाया जाता है.
आज के जमाने में उल्लू तो आसानी से मिलते नहीं है. पर फिर भी उल्लू दिवस बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है. हाँ उल्लू की जगह किसी और ने ले ली है. शायद आज के दौर में बैठा बिठाया उल्लू जब घर में ही हो तो कोई बाहर क्यूँ ढ़ूंडे.!!!
समय बदलता है
समय बदलता है
लोग बदलते हैं
लोगों की सोच बदलती है
पर नहीं बदलते हैं संस्कार
मान्यताएं
परम्पराएं
चाह जुड़े रहने की अपनी जड़ो से
बचाए रखने की जड़ों को
चाह संस्कारो को आगे पहुँचाने की
समय बदलता है
लोग बदलते हैं
लोगों की सोच बदलती है
तौर-तरीके बदलते हैं
अन्दाज़े बयां बदलते हैं
अब नहीं दिखता वो आकर्षण
अब नहीं दिखता वो समर्पण
लिपटा है सब एक रंग में
दिखावा है संग-संग
समय बदलता है
लोग बदलते हैं
लोगों की सोच बदलती है
बदल जाते हैं आचार, विचार और व्यवहार
अब नहीं है वो अपनाचार
है सब आधुनिकता की बयार
क्यूँ करते हो इतना विचार
लक्ष्मी-पति भी बन जाते है आज उल्लू
हो जाते है बड़े-बड़े भी लल्लू
ना कर पाया कोई आज, आज तक सीधा अपना उल्लू
ना घबराओ आज, आज तुम्हारा ही दिन है लल्लू
4 comments:
ha ha haa
ullu ki puja hai aaj.
ye to hame pata hi nahi tha ...
लक्ष्मी-पति भी बन जाते है आज उल्लू
हो जाते है बड़े-बड़े भी लल्लू
ना कर पाया कोई आज, आज तक सीधा अपना उल्लू
ना घबराओ आज, आज तुम्हारा ही दिन है लल्लू
bahut khoob.
सुबह सुबह यही sms मिला था ......कविता अच्छी है
आज के दौर में बैठा बिठाया उल्लू जब घर में ही हो तो कोई बाहर क्यूँ ढ़ूंडे.!!!
--haa haa :)
जी कमोद भाई राम राम जी की आज तो आप की भी पुजा होगी??
धन्यवाद सुन्दर लेख ओर कविता के लिये
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