Sunday, August 10, 2008

बाल

***** बाल*****

बाल बहुत काम की चीज़ होती है और कभी परेशानी की भी. मैने इसे कुछ यूँ अनुभव किया..

 

बाल सिर में हो तो अदाकारी

बाल सिर में ना हो तो बिमारी 

बाल आँख में जाये तो किरकिरी 

बाल खाने में आ जाये तो उबकारी 

बाल-बाल बचे जब बच आये कही से

बाल की खाल निकले जब खींचे कोई टांग

बाल श्रम बन जाये जब हो जाये काम

बाल विवाह बन जाये जब हो जाये शादी 

बाल साहित्य बन जाये जब बन जाते किताब  

बाल मिठाई बन जाये जब मिल जाये मीठा

बाल सखा अरू बाल क्रीड़ा बाल मन तरसाये

बाल बने बाल जब बाल-बाल मिल जाये.

3 comments:

Anonymous said...

:)

राज भाटिय़ा said...

क्या बात हे आप ने तो बाल की खाल ही खीच दी, :)

Udan Tashtari said...

बहुत सहू. कुछ बाल महिमा और बाल आरती यहाँ भी देखें:

http://udantashtari.blogspot.com/2007/02/blog-post.html

काफी पहले लिखी थी. अतः शायद आपकी नजर न गई हो.