Wednesday, July 23, 2008

Five Hundred Million Dollars का छुट्टा चाहिए..

******Five Hundred Million Dollars का छुट्टा चाहिए *****

art_zimbabwe_dollars_gi

_44574212_zimbabwecash226b_ap

अभी कुछ दिनों पहले की बात है जब हमरे पड़ोसी मनसुख लाल जिम्वाब्वे गये अपने लड़के के पास. भरा पूरा परिवार. लड़का और बहू दोनों काम करने वाले. मनसुख लाल बड़े खुश हुए कि उनके लड़के ने उनको बुलाया तो सही. सुबह का नाश्ता करने के बाद वो थोड़ा टहलने जाते. बस घर के पास ही, ज्यादा दूर नहीं. उन्हें डर रहता कि परदेश में कहीं खो गये तो क्या होगा. बस जी उनके दिन मजे से कट रहे थे.   

एक दिन बहू, बेटे दोनों को काम पर जल्दी जाना था. बहू नाश्ता करा गई और बेटे ने उन्हें क्रेडिट कार्ड यह कह कर थमा दिया कि पास में ही रेस्टोरेंट है आज वहाँ खा लेना. मनसुख लाल जी ने सोचा ठीक है आज थोड़ा शहर भी देख लिया जायेगा. मनसुख लाल को वहाँ के बारे में और महंगाई के बारे में ज्यादा पता नहीं था. वैसे भी वो इन सब के बारे में अपना दिमाग नहीं लगाते थे. उनका अधिकांश समय धार्मिक पुस्तकों में या आस्था में बाबाओं के प्रवचनों में निकल जाता था.

मनसुख लाल जी लंच टाईम से कुछ देर पहले ही निकल गये. अभी कुछ दूर चले ही थे कि उन्हें रेस्टोरेंट नजर आया. अजी रेस्टोरेंट क्या गाँव के छगन लाल के बेटे रोशन का ढाबा कह लो.  मनसुख लाल अंदर हो चले गये. सामने सरदार जी बैठे नजर आये.

सरदार जी देखते ही पूछे-" आर यू इण्डियन इंडियन?"                   मनसुख लाल- " यस"                                                     सरदार जी- " पापा जी कौण से शहर से?"                               मनसुख लाल-"हरियाणा से. और आप?"                              सरदार जी-" भटिंडा से..."                      

बातों ही बातों में पता चला कि सरदार जी पिछ्ले 15 सालों से वहाँ रहते हैं . उन्हें अपनी मिट्टी और वतन से बहुत प्यार है. मनसुख लाल अपने देश के आदमी को देखकर बहुत खुश हुए. और सरदार से प्रभावित भी हुए. सरदार जी ने यह भी बताया कि वह हमवतन को 50% डिस्काउन्ट में खाना खिलाते हैं. 

मनसुख लाल बड़े खुश हुए. उन्होंने अच्छा और ज्यादा खाना ओर्डर किया. मक्के की रोटी, सरसों का साग, लस्सी, खीर .....              मनसुख लाल को अपने गाँव की याद आ गई. आज बड़े दिनों बाद डट कर खाया था. मनसुख लाल बिल पेमेंट करने सरदार जी के पास जा रहे थे. तभी एक आदमी आया.                                             बोला-" सरदार जी $500 मिलियन के छुट्टे दे दो"                    सरदार जी ने 100-100 मिलियन के पाँच डॉलर निकाल कर दे दिये.  अब मनसुख लाल के चौकने की बारी थी. उसने सोचा 500 मिलियन डॉलर बहुत बड़ी चीज होती है और सरदार जी ऐसे ही रखे हैं अपनी गुल्ले में. मनसुख लाल के हाथों में $80 मिलियन का बिल था. मनसुख लाल ने सरदार जी से पूछा कि बिल तो सही दिया हैं उनको.

सरदार जी-"बिल सही है पापा जी. आपको तो हमने 50% में दिया है. नहीं तो यही बिल दुगना होता"                                        मनसुख लाल-"पर यह बहुत ज्यादा नहीं है?? गाँव में तो छगन लाल का छोरा यही खाना खाणा 50 रूपैये में खिला देवे है"              सरदार जी-" पापा जी ये जिमबाब्वे है. यहाँ मुद्रास्फीति की दर 22 लाख प्रतिशत है. हम भी क्या करें. यहाँ का $50 मिलियन अमेरिका के $2 से भी कम है. बस नाम का मिलियन है. काम वही 50 रूपैये वाला है. "  सरदार जी आगे बोले-" पहली बार 2.5 लाख जिम्बाब्वे डॉलर का नोट जारी किया गया था. इसके बाद जनवरी में 10 लाख और एक करोड़ डॉलर का नोट जारी किया गया. मई माह में 2.5 करोड़, 5 करोड़ से 50 बिलियन तक का नोट जारी किया गया. पापा जी ये देखो $500 मिलियन का नोट, इसमें अभी चार लोगों ने खाणा खाया था."

मनसुख लाल के लिए ये सब किसी आश्चर्य से कम नहीं था. उन्होंने क्रेडिट कार्ड निकाला पेमेंट किया और चल दिये. सोचने लगे अपना गाँव अपना देश अपना ही होता है. यहाँ तो हाथी के दाँत दिखाने के और खाने के और ही होते है."

डिस्क्लेमर:
यहाँ पर आये सभी पात्र एवं घटनाएं लेखक कामोद की कल्पनाशीलता का नतीजा है. इसका वास्तविकता से सम्बन्ध होना मात्र संयोग ही माना जायेगा.

1 comment:

Udan Tashtari said...

हमारे मित्र युगांडा के हैं वो १८ मिलियन युगांडा करेन्सी में बाल कटवाते हैं. :)