गुस्सा आने या शर्माने पर चेहरा लाल हो जाता है. यह लाल ही क्यों होता है? पीला, नीला, हरा या सफेद क्यों नहीं होता है?
दरसल गुस्सा आना या शर्माना (जिसे लजाना भी कहते हैं) एक संवेग है जिसका संबंध संकोच और शीलता से है. संकोच का अनुभव होते ही हमारी अधिवृक्क ग्रन्थि से, ऐड्रिनलीन का स्राव होने लगता है. इससे ऐडेनिलिल साइक्लेज़ नाम का ऐन्ज़ाइम क्रियाशील हो जाता है, जिसके फलस्वरूप साइक्लिक एऐमपी का स्तर बढ़ जाता है. साइक्लिक एऐमपी का स्तर बढ़ने से रक्त वाहिकाएं फैल जाती हैं और हमारे चेहरे का रंग गुलाबी या लाल हो जाता है. शरीर के दूसरे हिस्सों की तुलना में हमारे गालों में रक्त वाहिकाएं अधिक होती हैं, वो अधिक मोटी होती हैं और सतह के अधिक समीप होती हैं
इसलिए उनका असर साफ़ दिखाई देने लगता है।
2 comments:
चलिए आज पता चल गया।
शुक्रिया ।
होता तो हमारा चेहरा भी होगा पर दिखता नहीं :)
जानकारी अच्छी है.
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