Friday, April 11, 2008

फिर भी उनको मेरा मित्र बनना है

पिछले कई दिनों से लिखना नहीं हो पा रहा है. इस बीच ओर्कुट के अपने कुछ अनुभवों को रखने की कोशिश कर रहा हूँ.



उनको मेरा मित्र बनना है
आया था ऑरकुट पर
खोजने पुराने दोस्तों को
कुछ मिले, कुछ कुछ नहीं,
पर यहाँ भी दोस्तों की कमी नहीं.

सोचा
इस अथाह सागर में
क्यूँ न मैं भी नए दोस्त चुनूँ!
जो मेरी पसंद के हों
मुझे समझते हों,...

लेकिन कोई दोस्त बनना नहीं चाहता था
सबसे पहले मुझे देखना चाहता था.
सुरक्षा के लिहाज़ से
मैं अपनी तस्वीर नहीं लगाता था,
बस कभी फूलों की
कभी सवाल भरे चित्र सजाता था.

पर भला वो किसको पसंद आते?
लोग विजिट तो करते पर
पर यूं ही चले जाते.

अब जबसे तस्वीर लगायी है,
पहचान नयी मैंने पायी है.
रोज़ २० रिक्वैस्ट आते हैं
50 स्क्रैप्स आते हैं,
कुछ लोग आकर्षण से
तो कुछ सेक्स के लिहाज़ से आते हैं.

आश्चर्य है मुझको
ये कैसी विडम्बना है ????
जो चित्र है मेरा
वो छद्म है
फिर भी उनको मेरा मित्र बनना है .......

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