*****कौन रोकता है तुम्हें*****
कौन रोकता है तुम्हें
आसमॉ छूने के लिए
पर ज़िद ना करो पत्थर मारने की
वापस तुम पर ही गिरेगा, याद रखना
कौन रोकता है तुम्हें
मन्दिर जाने के लिए
पर ज़िद ना करो आग से खेलने की
जल जाओगे, याद रखना
कौन रोकता है तुम्हें
कन्दुक-क्रीड़ा के लिए
पर ज़िद ना करो सचिन,धोनी बनने की
शीशे भी टूटेंगे आपने ही, याद रखना
कौन रोकता है तुम्हें
चाकू-बन्दूक खेलने के लिए
पर ज़िद ना करो इसे आजीविका बनाने की
लादेन, वीरप्पन तुम नहीं, याद रखना.
सही है-सीख.
ReplyDeletebhut hi sahi likh hai.likhate rhe.
ReplyDeleteमजा आ गया . बहुत ही अच्छी रचना.
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