Thursday, May 29, 2008

खामोशियों का फसाना

*****खामोशियों का फसाना *****

मेरी खामोशियां भी फसाना ढूंढ लेती है
बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है.

बड़ी शातिर है ये दुनिया बहाना ढूंढ लेती है.
मगर हर आंख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है.

न चिडि़या की कमाई है न कारोबार है कोई
वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है.

समझ पाई न दुनिया हकी अब तक
जो सूली पर भी हंसना मुस्कुराना ढूंढ लेती है.

उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का
वही कोशिश समन्दर में खजाना ढूंढ लेती है.

2 comments:

  1. उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का
    वही कोशिश समन्दर में खजाना ढूंढ लेती है.

    -वाह! बहुत उम्दा.

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