***** मेरी भैंस को डंडा क्यूँ मारा *****
पिछले दिनों ब्लॉग जगत में छींटाकशी, आरोप प्रत्यारोप, तू-तू मैं-मैं देखने को मिली. तूने मेरे ब्लॉग में टिप्पणी क्यूँ की!!. नहीं चाहिए मुझे किसी की सहानुभूति. $#@%&*+-! मैं किसी के लिए नहीं लिखता. वगैरा वगैरा...
ब्लॉग क्यूँ लिखते हैं?? क्या आधार है लिखने का जब पाठक ही न हों! खाली पीली टाईम खोटी करने से क्या फायदा.
जब आप लिखते हैं तो आलोचना, समालोचना के लिए सहज रूप से सकारात्मक मानसिकता के साथ तैयार रहना चाहिए. अगर मेरी भैंस को डंडा क्यूँ मारा, तेरे बाप का वो क्या करती थी कहकर लट्ठ चलाने लगे तो ब्लॉगिंग का उद्देश्य समाप्त ही हो जायेगा.
ब्लॉग एक व्यक्तिगत डायरी है. एक दैनिक प्रवचन मंच. एक सहयोगपूर्ण स्थान. एक राजनैतिक सोपबॉक्स. एक ताज़ा समाचार आउटलेट. लिंकों का एक संग्रह. आपके अपने निजी विचार. दुनिया को दिए जाने वाली ज्ञापन. वो सब कुछ जो आप चाहते हैं.
आपका ब्लॉग वैसा ही है जैसा आप उसे चाहते हैं. सामान्य शब्दों में, ब्लॉग एक वेब साइट है, जहाँ आप नियमित तौर पर सामग्री लिखते हैं. नई सामग्री सबसे ऊपर दिखती है, ताकि आपके विजिटर पढ़ सकें कि नया क्या है. इसके बाद वे उस पर टिप्पणी कर सकते हैं या उसे लिंक कर सकते हैं या आपको ईमेल कर सकते हैं. या नहीं.
अब यह ब्लॉगर पर निर्भर करता है कि वो किसे पढ़ाये किसे नहीं. फ्री की चीज है ब्लॉगिंग तो ठेले जाओ कौन रोकता है. पर आ बैल मुझे मार का नारा क्यूँ लगाते हो.
बहुत से लोग बस अपने विचारों को व्यवस्थित करने के लिए ब्लॉग का प्रयोग करते हैं, जबकि दूसरे प्रभावकारी, पूरी दुनिया के हजारों लोगों पर अपनी छाप छोड़ते हैं. प्रोफेशनल और शौकिया पत्रकार ब्लॉगों का उपयोग नवीनतम समाचार प्रकाशित करने के लिए उपयोग करते हैं, जबकि व्यक्तिगत पत्रकार अपने अंदरूनी विचारों की अभिव्यक्ति के लिए.
यहीं से ब्लॉगियाते हुए बहुत से ब्लॉगर आज ब्लॉग रत्न बन गये. वैसे भी हीरे की कद्र जौहरी ही जानता है. जब तक सोना आग में तपेगा नहीं तब तक उसमें निखार कैसे आयेगा. टिप्पणियाँ और टिपियाने वाले ब्लॉगिंग के जौहरी ही होते है. अपन तो आग में कूदने के लिए तैयार बैठा है बस जौहरी की तलाश है. देखो कौन सा जौहरी आता है.
bahut achcha laga aapki post padkar.....
ReplyDeleteबहुत सही लिखा है।
ReplyDeleteलीजिए हम आ गए। स्वयं का लिखा तो पसन्द नापसन्द कर न सके आपका करने आ गए। हाँ, पसन्द आया।
घुघूती बासूती
:) सुंदर विचार अच्छा लिखा
ReplyDeleteaapki baaton ne dilaasa diyaa.varna in dino lag raha hai ki ye sab bekar hai..itni urjaa kahin aur lagauun to zyada acchha ho shayad
ReplyDeleteलो भई, एक जोहरी बने हम भी आ ही गये. :)
ReplyDeleteकबिरा तेरी झुग्गी भई लोगन के पास,
ReplyDeleteकरे गा सो भरेगा तु क्यो होत उदास.
मस्त मोला जोहरी की हाजरी लगा लो भाई...
पारूल जी ब्लॉग अपने विचार रखने का सशक्त माध्यम बन गया है. आप इतना अच्छा लिखती हैं. इसको आप अपने तक सीमित ना रखें. लिखते रहें. जहाँ चार बरतन होंगे वहाँ आवाजें होना स्वभाविक है.
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