tag:blogger.com,1999:blog-4731916290710771646.post287890479214849424..comments2023-08-16T21:07:42.116+05:30Comments on कुछ खट्टी कुछ मीठी Kuch Khatti Kuch Mitthi: कहाँ गये राज ठाकरे अब!!!कामोद Kaamodhttp://www.blogger.com/profile/08736388435404634973noreply@blogger.comBlogger10125tag:blogger.com,1999:blog-4731916290710771646.post-72584837245338375622008-12-01T15:13:00.000+05:302008-12-01T15:13:00.000+05:30राज ठाकरे और मुंबई में हमला कराने वाले आतंकवादियों...राज ठाकरे और मुंबई में हमला कराने वाले आतंकवादियों में कोई फर्क नहीं है! राज ठाकरे और उन के कार्यकर्ता तोड़-फोड़, आगज़नी, निहत्थे लोगों के साथ मार-पीट आदि कर के आतंक ही तो फैलाते हैं!Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4731916290710771646.post-75535914043096832272008-11-29T20:56:00.000+05:302008-11-29T20:56:00.000+05:30डॉक्टर अनुराग और युग विमर्श जी के विचारो से सहमत ह...डॉक्टर अनुराग और युग विमर्श जी के विचारो से सहमत हूँ . सरकार को अब अपना नजरिया बदलना होगा.समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4731916290710771646.post-52960276951499073042008-11-29T19:38:00.000+05:302008-11-29T19:38:00.000+05:30डॉक्टर अनुराग और युग विमर्श जी ने बहुत अच्छी बातें...डॉक्टर अनुराग और युग विमर्श जी ने बहुत अच्छी बातें कही हैं. हमें बहुत सजग रहकर यह ध्यान रखना है की देश के दुश्मन हर छोटी सी चूक का भी फायदा उठाने को तैयार बैठे हैं.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4731916290710771646.post-63826538872649443132008-11-28T23:51:00.000+05:302008-11-28T23:51:00.000+05:30यह शोक का दिन नहीं,यह आक्रोश का दिन भी नहीं है।यह ...यह शोक का दिन नहीं,<BR/>यह आक्रोश का दिन भी नहीं है।<BR/>यह युद्ध का आरंभ है,<BR/>भारत और भारत-वासियों के विरुद्ध<BR/>हमला हुआ है।<BR/>समूचा भारत और भारत-वासी<BR/>हमलावरों के विरुद्ध<BR/>युद्ध पर हैं।<BR/>तब तक युद्ध पर हैं,<BR/>जब तक आतंकवाद के विरुद्ध<BR/>हासिल नहीं कर ली जाती<BR/>अंतिम विजय । <BR/>जब युद्ध होता है<BR/>तब ड्यूटी पर होता है<BR/>पूरा देश ।<BR/>ड्यूटी में होता है<BR/>न कोई शोक और<BR/>न ही कोई हर्ष।<BR/>बस होता है अहसास<BR/>अपने कर्तव्य का। <BR/>यह कोई भावनात्मक बात नहीं है,<BR/>वास्तविकता है।<BR/>देश का एक भूतपूर्व प्रधानमंत्री,<BR/>एक कवि, एक चित्रकार,<BR/>एक संवेदनशील व्यक्तित्व<BR/>विश्वनाथ प्रताप सिंह चला गया<BR/>लेकिन कहीं कोई शोक नही,<BR/>हम नहीं मना सकते शोक<BR/>कोई भी शोक<BR/>हम युद्ध पर हैं,<BR/>हम ड्यूटी पर हैं।<BR/>युद्ध में कोई हिन्दू नहीं है,<BR/>कोई मुसलमान नहीं है,<BR/>कोई मराठी, राजस्थानी,<BR/>बिहारी, तमिल या तेलुगू नहीं है।<BR/>हमारे अंदर बसे इन सभी<BR/>सज्जनों/दुर्जनों को<BR/>कत्ल कर दिया गया है।<BR/>हमें वक्त नहीं है<BR/>शोक का। <BR/>हम सिर्फ भारतीय हैं, और<BR/>युद्ध के मोर्चे पर हैं<BR/>तब तक हैं जब तक<BR/>विजय प्राप्त नहीं कर लेते<BR/>आतंकवाद पर।<BR/>एक बार जीत लें, युद्ध<BR/>विजय प्राप्त कर लें<BR/>शत्रु पर।<BR/>फिर देखेंगे<BR/>कौन बचा है? और<BR/>खेत रहा है कौन ?<BR/>कौन कौन इस बीच<BR/>कभी न आने के लिए चला गया<BR/>जीवन यात्रा छोड़ कर।<BR/>हम तभी याद करेंगे<BR/>हमारे शहीदों को,<BR/>हम तभी याद करेंगे<BR/>अपने बिछुड़ों को।<BR/>तभी मना लेंगे हम शोक,<BR/>एक साथ<BR/>विजय की खुशी के साथ। <BR/>याद रहे एक भी आंसू<BR/>छलके नहीं आँख से, तब तक<BR/>जब तक जारी है युद्ध।<BR/>आंसू जो गिरा एक भी, तो<BR/>शत्रु समझेगा, कमजोर हैं हम।<BR/>इसे कविता न समझें<BR/>यह कविता नहीं,<BR/>बयान है युद्ध की घोषणा का<BR/>युद्ध में कविता नहीं होती।<BR/>चिपकाया जाए इसे<BR/>हर चौराहा, नुक्कड़ पर<BR/>मोहल्ला और हर खंबे पर<BR/>हर ब्लाग पर<BR/>हर एक ब्लाग पर।<BR/>- कविता वाचक्नवी <BR/>साभार इस कविता को इस निवेदन के साथ कि मान्धाता सिंह के इन विचारों को आप भी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचकर ब्लॉग की एकता को देश की एकता बना दे.राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगरhttps://www.blogger.com/profile/16515288486352839137noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4731916290710771646.post-30975941374673372442008-11-28T22:16:00.000+05:302008-11-28T22:16:00.000+05:30सच मै अब शोक या खेद नही, अब तो गुस्सा आ रहा है, बा...सच मै अब शोक या खेद नही, अब तो गुस्सा आ रहा है, बाकी मै युग-विमर्श जी की टिपण्णी<BR/>से सहमत हुंराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4731916290710771646.post-20929498104104393202008-11-28T20:50:00.000+05:302008-11-28T20:50:00.000+05:30" शोक व्यक्त करने के रस्म अदायगी करने को जी नहीं च..." शोक व्यक्त करने के रस्म अदायगी करने को जी नहीं चाहता. गुस्सा व्यक्त करने का अधिकार खोया सा लगता है जबआप अपने सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पाते हैं. शायद इसीलिये घुटन !!!! नामक चीज बनाई गई होगी जिसमें कितनेही बुजुर्ग अपना जीवन सामान्यतः गुजारते हैं........बच्चों के सपोर्ट सिस्टम को अक्षम पा कर. फिर हम उस दौर सेअब गुजरें तो क्या फरक पड़ता है..शायद भविष्य के लिए रियाज ही कहलायेगा।"<BR/><BR/><B>समीर जी की इस टिपण्णी में मेरा सुर भी शामिल!!!!!!!</B><BR/><A HREF="http://primarykamaster.blogspot.com/" REL="nofollow">प्राइमरी का मास्टर</A>प्रवीण त्रिवेदीhttps://www.blogger.com/profile/02126789872105792906noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4731916290710771646.post-32832781536101070472008-11-28T13:45:00.000+05:302008-11-28T13:45:00.000+05:30आपने कभी सोचा है की अमेरिका पे दुबारा हमला करने क...आपने कभी सोचा है की अमेरिका पे दुबारा हमला करने की हिम्मत क्यों नही हुई इनकी ?अगर सिर्फ़ वही करे जो कल मनमोहन सिंह ने अपने भाषण में कहा है तो काफ़ी है.....अगर करे तो....<BR/>फेडरल एजेंसी जिसका काम सिर्फ़ आतंकवादी गतिविधियों को देखना ....टेक्निकली सक्षम लोगो को साथ लाना .रक्षा विशेषग से जुड़े महतवपूर्ण व्यक्तियों को इकठा करना ....ओर उन्हें जिम्मेदारी बांटना ....सिर्फ़ प्रधान मंत्री को रिपोर्ट करना ,उनके काम में कोई अड़चन न डाले कोई नेता ,कोई दल .......<BR/>कानून में बदलाव ओर सख्ती की जरुरत .....<BR/>किसी नेता ,दल या कोई धार्मिक संघठन अगर कही किसी रूप में आतंकवादियों के समर्थन में कोई ब्यान जारीकर्ता है या गतिविधियों में सलंगन पाया जाए उसे फ़ौरन निरस्त करा जाए ,उस राजनैतिक पार्टी को चुनाव लड़ने से रोक दिया जाए .उनके साथ देश के दुश्मनों सा बर्ताव किया जाये .......इस वाट हम देशवासियों को संयम एकजुटता ओर अपने गुस्से को बरक्ररार रखना है .इस घटना को भूलना नही है....ताकि आम जनता एकजुट होकर देश के दुश्मनों को सबक सिखाये ओर शासन में बैठे लोगो को भी जिम्मेदारी याद दिलाये ....उम्मीद करता हूँ की अब सब नपुंसक नेता अपने दडबो से बाहर निकल कर अपनी जबान बंद रखेगे ....इस हमले को याद रखियेगा ......ये हमारे देश पर हमला है !डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4731916290710771646.post-76885177148597152802008-11-28T12:54:00.000+05:302008-11-28T12:54:00.000+05:30ham bhi yahi soch rahe they ki kahan hai ab thaakr...ham bhi yahi soch rahe they ki kahan hai ab thaakre giविधुल्लताhttps://www.blogger.com/profile/15471222374451773587noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4731916290710771646.post-88073871682266477612008-11-28T08:17:00.000+05:302008-11-28T08:17:00.000+05:30प्रिय बन्धुटीका टिप्पणियाँ तो हम पहले भी बहुत कर च...प्रिय बन्धु<BR/>टीका टिप्पणियाँ तो हम पहले भी बहुत कर चुके. इससे केवल दरारें बढती हैं.फिर इस कार्य के लिए राजनीतिक नेता तो हैं ही. इस समय कुछ प्रश्नों पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए. १. यह कि हमारी खुफिया व्यवस्था कब चाक़-चौबंद होगी. २. यह कि इतनी बड़ी-बड़ी घटनाओं को हम कब गंभीरतापूर्वक लेंगे. ३.यह कि हम साम्प्रदायिक बुनियादों पर कबतक एक दूसरे की छीछालेदर करते रहेंगे और बिना किसी भेद-भाव के कम-से-कम देश से जुड़े मुद्दों पर एकजुट नहीं होंगे. ४. यह कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि हमारी अनेक दुर्बलताओं का लाभ उठाकर पश्चिमी देशों ने हमारे विरुद्ध एक गुप्त षड़यंत्र रचने की योजना बनायी हो. ऐसा इसलिए भी सम्भव है कि दक्षिण एशियाई देशों का और विशेष रूप से भारत का विकास उन्हें बर्दाश्त नहीं है. और फिर पाकिस्तानियों को ख़ास तौर पर धर्म के नाम पर भड़काकर और भारतीयों को भ्रष्टाचार का लाभ उठाकर इस कार्य में आसानी से झोंका जा सकता है. हमें और भी ढेर सारे पहलुओं पर सोचना होगा. <BR/>हम कानून कड़े करने की बात करते हैं. हाँ कानून कड़े होने चाहियें. किंतु मुक़दमा चलाये जाने या यातनाएं देने के लिए नहीं. देशविरोधी आतंकवादी गति-विधियों में जो लोग भी रंगे हाथों पकडे जाएँ उन्हें जनता के बीच खड़ा करके गोली मार देनी चाहिए. मुक़द्दमे केवल उनपर चलाये जाएँ जो संदेह के घेरे में हों और जिन्हें घटना स्थल से न पकड़ा गया हो. जो लोग मोबाइल या फोन से बम पाये जाने सम्बन्धी झूठी सूचनाएं पुलिस को देते हैं उन्हें भी कड़े दंड दिए जाने चाहिए. जिनके पास से खुले आम आर डी एक्स पकड़ा जाता है, वे कुछ भी सफाई दें, उन्हें आतंकी मानना चाहिए. ए.टी.एस की ही तरह हर संवेदनशील शहर में एनजीओज़ के आतंक विरोधी दस्ते बनाए जाने चाहिए. जो बारीकी से असामान्य गतिविधियों का विश्लेषण करते रहें और ए.टी.एस के सहयोगी बनें.युग-विमर्शhttps://www.blogger.com/profile/05741869396605006292noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4731916290710771646.post-5773259430198299542008-11-28T07:33:00.000+05:302008-11-28T07:33:00.000+05:30raj ko raj rahane do. narayan narayanraj ko raj rahane do. narayan narayanगोविंद गोयल, श्रीगंगानगर https://www.blogger.com/profile/04254827710630281167noreply@blogger.com